Wednesday, July 06, 2005
उर्दू का केंद्रबिंदु दक्षिण भारत में
"उर्दू का केंद्रबिंदु अब दक्षिण भारत में है।" फ़िल्मकर्ता महमूद फ़ारूक़ी का यह कथन हालही में हुए १०वीं और १२वीं परीक्षाओं के परिणामों पर आधारित है। भारत में तक़रीबन सभी उर्दू सीखने वाले मुसलमान हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार में -- जहाँ भारत के अधिकतर मुसलमान, और इसलिए अधिकतर उर्दू सीखने वाले, रहते हैं -- केवल २५-३०% विद्यार्थी ही उन परीक्षाओं में सफ़ल हो पाए हैं। पर महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के राज्यों में प्रतिशतता ७० या ८० प्रतिशत भी पायी गयी है। फ़ारूक़ी का मानना है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में हिन्दी का प्रभाव बहुत अधिक है, और उर्दू बोलने वाले छात्र इन राज्यों में आसानी से उर्दू को छोड़ कर अपना अस्तित्व हिन्दी से जोड़ लेते हैं। फ़ारूक़ी का यह भी कहना है कि उर्दू का इस केंद्रबिंदु का दक्षिण भारत में आना दकनी का 'बदला' भी माना जा सकता है। यह इसलिए क्योंकि जब १८ शताब्दी में आधूनिक उर्दू का निर्माण किया जा रहा था, तब दकनी के लेखकों पर "अशुद्ध" उर्दू इस्तेमाल करने का आरोप लगाया गया था। और पढ़िए (अंग्रेज़ी में) यहाँ।
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पर दक्षिण भारत में उर्दू की सेहत कुछ खास अच्छी नहीं है: कॉर्नेल यूनिवरसिटी के डा। फ़तीही के अनुसार आंध्रप्रदेश के उर्दू बोलने वाले ज़िलाओं की साक्षर आबादी में से तक़रीबन ६०% प्राथमिक सिक्षा के पार नहीं जाते। अर्थार्त, इन इलाकाओं में स्कूल छोड़ने वालों की संख्या चिंताजनक है।
उनका पूरा विश्लेषण अंग्रेज़ी में पढ़िए इधर।
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उनका पूरा विश्लेषण अंग्रेज़ी में पढ़िए इधर।
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