Monday, September 12, 2005
भारत और इंडोनीशिया में अंग्रेज़ी
भारत से इंडोनीशिया क्या सीख सकता है? यह सवाल पूछते हैं म्यूनिक के अज़ीज़, जकर्ता पोस्ट में। उनका उत्तर है कि हम भारतीय एशिया के बाकी लोगों की तुलना में बातूनी हैं, और हमारे बातूनी होने में अंग्रेज़ी का हाथ ज़रूर है, जो हमे आत्मविश्वास देता है। कहाँ भारत और कहाँ इंडोनीशिया, वे कहते हैं, जिसने स्वतंत्रता के तुरंत बाद "बिना सोचे समझे" ना सिर्फ़ नेदरलैण्ड की डच भाषा को निकाल डाला, पर उसकी जगह ना अंग्रेज़ी को देश म ेंआने दिया, ना ही कम-से-कम अरबी को। दुनिया में कामयाब होने के लिए दुभाषी या बहुभाषी होना आवश्यक हो गया है, उनके अनुसार। और पढ़िए (अंग्रेज़ी में) यहाँ।
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गिरिधर जी, हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है। लेकिन लगता है कि बहुत दिनों से आपने कुछ नहीं लिखा। कृपया निरन्तर लिखते रहें।
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