Monday, March 20, 2006
 

भारत में स्कूलों में जापानी पढ़ाई जाएगी

पत्रिकाओं में रिपोर्टों के अनुसार, केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड का कहना है कि अगले शैक्षिक वर्ष से ९० से ज़्यादा स्कूलों में जापानी भाषा पढ़ाई जाएगी।

यानी ब्रिटिश हुकूमत से आज़ादी पाने के कुछ ६० साल बाद हम एक नज़र हमारे पड़ोस की ज़बानों पर डाल रहे हैं -- कहाँ हैं हमारे पाठ्यक्रम फ़ार्सी, नेपाली, चीनी, म्यानमारी, सिन्हला में?

पर क्या जापानी वाकई पढ़ाई जाएगी? एक तरफ़ है सरकार जो कहती है (इस अंग्रेज़ी लेख में) कि जापानी भाषा का ग्यान आजकल के अन्तरराष्ट्रीय आर्थिक महौल में ज़रूरी है, पर साफ़-साफ़ यह भी कहती है कि स्कूलों को जापानी पढ़ाने वाले ख़ुद ढूंढने होंगे -- बोर्ड ज़्यादा-से-ज़्यादा उनको कुछ "ट्रेनिंग" दे पाएगी। पर हाँ अगर स्कूलों को बोर्ड की मान्यता चाहिए तो वे इस पाठ्यक्रम का प्रयोग करें, जिसमें ज़ोर दिया गया है "जापानी लिखने पर नहीं बलकि बोलने पर"।

नतीजे का अनुमान आप अभी लगा सकते हैं: कुछ चुनिंदा स्कूल और पैसा कमायेंगे यह कहते हुए कि हम ना केवल "कम्पयूटर" और फ़्रेंच पढ़ाते हैं, पर अब जापानी भी, और वो भी सरकारी पाठ्यक्रम के अनुसार। और इन स्कूलों में भारतीय भाषाओं पर ध्यान देनी की ज़रूरत और भी कम महसूस होगी।

कुल मिलाकर होगा यह कि बच्चे जो अब बड़ी कुशलता से फ़्रेंच में "Je m'appelle राम लखन" कहते हैं, अब जापानी में 私の名前は राम लखन である कहेंगे -- कम-से-कम गूगल की अनुवादिका के अनुसार!

बोर्ड का अंग्रेज़ी लेख पढ़िए यहाँ पर

आपके विचार:
Sorry about this being in English, but u're absolutely right- this is ridiculous; all the more so, considering that they hardly provide teachers of quality even in English, let alone Japanese. And one questions the choice of Japanese (????) if at all a foreign language has to be shoved down the throats of already-overburdened students. Even Mandarin/Cantonese would have made SOME sense (geopolitical implications and all that) but Japanese? What kind of idiot suggested this and how many more went along with the idea to enforce it? The mind boggles.
 
मेरे विचार से यह कदम स्वागत योग्य है , बशर्ते इस नीति को और व्यापक बनाया जाय | व्यापक नीति से मेरा मतलब यह है कि कुछ भारतीयों को चीनी, कुछ को जापानी, कुछ को फ्रेंच, कुछ को जर्मन, कुछ को रूसी और अन्य भाषाओं में कार्यकारी दक्षता प्रदान करने की नीति बने | सभी लोगों को अंगरेजी की भेड-चाल में न झोक दिया जाय | निश्चित ही अंगरेजी सहित अन्य विदेशी भाषायें सभी भारतीयों को पढाया जाना, न तो व्यावहारिक है, न उचित है, और न ही राष्ट्रीय अस्मिता के लिये ही ठीक है |
 
> अब जापानी में 私の名前は
> राम लखन である कहेंगे

मेरे जापानी दोस्त "क्रोमनोमो" का कहना है (एस्पेरान्तो में, यहाँ पर) कि यह अनुवाद "कुछ बनावटी और पुराने अंदाज़ का है। आजकल हम कहेंगे -- 私の名前はराम लखनです।"

चलिए ऐसा ही सही। इट इज़ ऑल जापानीज़ टु मी! :)

("क्रोमनोमो" का अर्थ एस्पेरान्तो में "उपनाम" है।)
 
एक जापानी होने के नाते, इस शिक्षा-नीति की ख़बर सुनने को अच्छी लगी और ख़ुशी भी हुई.
लेकिन शिक्षकों की हैसियत और पाठ्यक्रम की सफ़लता के बारे में चिंता भी. अगर जो बच्चे स्कूल की कक्षा से आगे बढ़कर उच्च-प्रशिक्षण लेना और जापानी सक्षमता से नौकरी करना चाहेंगे उनके सामने रास्ता खुलता नहीं, इस नीति का फल यह बनाने वालों का आत्म-संतोष ही सीमित हो जाएगा.

और...
मुझे भी सही लगता है "私の名前は राम लखन です", बच्चों को सिखाने के लिए तो.
("である"[दे-अरु]/"です"[देसु] दोनों "है" का मतलब तो है, लेकिन सरल बातचीत में "です" उचित है.)
 
Post a Comment

<< पहला पन्ना

This page is powered by Blogger. Isn't yours?