Wednesday, October 25, 2006
केम्ब्रिज विश्वविद्यालय से हिन्दी हटी
स्वतंत्र वार्ता के इस ख़बर के अनुसार, इस ख्याति संस्थान में इस वर्ष से पाठ्यक्रम से हिन्दी हटा दिया गया है। कारण यह बताया गया है: "हिन्दी भाषी प्रवासी भारतीयों की संतानें हिन्दी की बजाय अंग्रेज़ी पढ़ना ज़्यादा पसंद करती हैं।" पर इस "१०० साल से भी अधिक" पुराने विभाग का "हिन्दी भाषी प्रवासी भारतीयों की संतानों" से कम ही वास्ता है। विलायत में हिन्दी और संस्कृत की पढ़ाई की जड़ों का संबंध एक तरफ़ ब्रिटेन और भारत के उपनिवेशीय इतिहास से है और दूसरी ओर १७-वीं और १८-वीं शताब्दियों की यूरोपीय ग्यानोदय से है। (भारत और केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के संबंधों का एक इतिहास आप विश्वविद्यालय की ही दी हुई इस प्रकाशन में पढ़ सकते हैं।)
एक और बात: केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के हिन्दी के पूर्व प्राध्यापक डा. सत्येंद्र श्रीवास्तव विश्वविद्यालय को "स्व्यंपोषित संस्था" बतलाते हैं। यह सच नहीं है। विश्वविद्यालय की ही सूत्रों के अनुसार २००५-६ के दौरान इंग्लैण्ड की उच्च शिक्षा परिषद् केम्ब्रिज विश्वविद्यालय को शोध कार्य के लिए ७८५ करोड़ रुपये देने वाली थी! (Phillipson, Robert. 2005. "English, a cuckoo in the European higher education nest of languages?" प्रकाशित होने वाला है: European Journal of English Studies में।)
एक और बात: केम्ब्रिज विश्वविद्यालय के हिन्दी के पूर्व प्राध्यापक डा. सत्येंद्र श्रीवास्तव विश्वविद्यालय को "स्व्यंपोषित संस्था" बतलाते हैं। यह सच नहीं है। विश्वविद्यालय की ही सूत्रों के अनुसार २००५-६ के दौरान इंग्लैण्ड की उच्च शिक्षा परिषद् केम्ब्रिज विश्वविद्यालय को शोध कार्य के लिए ७८५ करोड़ रुपये देने वाली थी! (Phillipson, Robert. 2005. "English, a cuckoo in the European higher education nest of languages?" प्रकाशित होने वाला है: European Journal of English Studies में।)
à¤à¤ªà¤à¥ विà¤à¤¾à¤°:
<< पहला पनà¥à¤¨à¤¾
वाक़ई यह एक बुरी ख़बर है। हालाँकि इससे भी ख़राब यह है कि इस आक्षेप में कुछ सत्यांश है - भारतीय हिन्दी को अधिक महत्व नहीं देते हैं।
I really liked ur post, thanks for sharing. Keep writing. I discovered a good site for bloggers check out this www.blogadda.com, you can submit your blog there, you can get more auidence.
Post a Comment
<< पहला पनà¥à¤¨à¤¾